रसायन विज्ञान की मूल संकल्पना (Concept)

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महत्वपूर्ण बिन्दु
  • रसायन विज्ञान  विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पदार्थ के संघटन, गुणधर्मों व रूपान्तरणों एवं इन परिवर्तनों से जुड़ी हुई ऊर्जा का भी अध्ययन किया जाता है। 
  • पदार्थ वह होता है जो जगह घेरता है तथा जिसमे द्रव्यमान होता है। 
  • पदाथ की कितनी तीन अवस्थाएं होती है- ठोस, द्रव, गैस
  • ठोस ऐसे पदार्थ से निर्मित होते है जिनके कणों के बीच शक्तिशाली आकर्षण होते हैं, जो एक-दूसरे से सटे हुए एवं निश्चित स्थितियों पर होते हैं। ठोसों का निश्चित आकार एवं निश्चित आयतन होता है। 
  • द्रव ऐसे पदार्थ से निर्मित होते हैं जिनके कण पास-पास तो होते हैं लेकिन उनके मध्य लगने वाला आकर्षण बल कमजोर होता है इसलिए, वे एक-दूसरे के आस-पास गति करने में समर्थ होते हैं। अतः द्रवों का आयतन तो निश्चित होता है लेकिन उनका आकार निश्चित नहीं होता है। 
  • गैस ऐसे परमाणुओं या अणुओं से निर्मित होती है जिनके मध्य कणों के बीच की दूरियाँ काफी अधिक होती है, जो स्वतंत्र रूप से सभी दिशाओं में यादृच्छिक गति करते हैं। गैसों का न तो निश्चित आयतन होता है और नहीं आकार।
  • पदार्थ की दो अवस्थाएं होती है – शुद्ध पदार्थ और मिश्रण।
  • शुद्ध पदार्थ या तो तत्व होते हैं अथवा यौगिक तथा इनका संघटन हमेशा ही समांगी होता है।
  • मिश्रण में हमेशा ही दो या दो से अधिक ऐसे पदार्थ होते हैं जो या तो समांगी अथवा विषमांगी हो सकते हैं।
  • समांगी मिश्रण एक समान संघटन, रूप एवं गुणधर्मों वाला होता है क्योंकि इसके घटक एक-दूसरे के साथ पूर्ण रूप से मिले होते हैं।
  • विषमांगी मिश्रण में दो या दो से अधिक भौतिक रूप से भिन्न प्रावस्थाएं होती है तथा इसका संघटन पूर्ण रूप से एकसमान नहीं होता है।
  • भौतिक गुणधर्म पदार्थ के भौतिकीय अस्तित्व से संबधित होते हैं। ये पदार्थ के ऐसे अन्तनिर्हित गुणधर्म होते हैं जिन्हें संघटन को परिवर्तित किये बिना निर्धारित किये जा सकते हैं जैस पदार्थ की अवस्था, रंग, स्वाद, गंध, गलनांक आदि।
  • रासायनिक गुणधर्म किसी पदार्थ की नये पदार्थां के निमार्ण की योग्यता होती है, या तो विघटन के द्वारा अथवा अन्य पदार्थाें की अभिक्रिया के द्वारा जैसे-अम्लीयता या क्षारीयता आदि।
  • द्रव्यमान किसी द्रव्य में उपस्थित पदार्थ की मात्रा होती है तथा इसका द्रव्यमान की SI किलोग्राम है।
  • किसी वस्तु का भार, उस वस्तु के ऊपर गुरूत्वाकर्षण के द्वारा आरोपित किया गया बल होता है। किसी पदार्थ का द्रव्यमान निश्चित होता है जबकि उसका भार गुरूत्वाकर्षण में परिवर्तन के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान पर भिन्न हो सकता है।
रासायनिक संयोजन के नियम
  • द्रव्यमान संरक्षण का नियम – इसके अनुसार पदार्थ को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट अर्थात्, रासायनिक परिवर्तन में भाग लेने वाले पदार्थों के कुल द्रव्यमान में कोई भी परिवर्तन नहीं देखा जाता है।
  • स्थिर अनुपात का नियम– किसी भी यौगिक में उसके अवयवी तत्वों के द्रव्यमान का अनुपात निश्चित होता है चाहे इसका स्त्रोत या निर्माण विधि कुछ भी हो अर्थात् दिये गये यौगिक मे भारात्मक दृष्टि से तत्वों का अनुपात हमेशा ही समान होता है। इसे कभी-कभी निश्चित संघटन का नियम भी कहा जाता है।
  • गुणित अनुपात का नियम – जब दो तत्व आपस में संयोग करके एक से अधिक यौगिक बनाते हैं, तो क तत्व के भिन्न-भिन्न द्रव्यमान जो दूसरे तत्व के निश्चित द्रव्यमान से संयोग करते हैं तथा ये छोटे पूर्णांकों के अनुपात में होते हैं।
  • गै-लुसैक का गैसीय आयतनों को नियम– जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में गैसें आपस में संयोजित होती है अथवा उनका निर्माण होता है तो वे समान ताप एवं दाब पर सभी गैसों के द्वारा प्रदान किये गये आयतन के द्वारा सरल अनुपात में करती हैं।
  • आवोगाद्रो का नियम – समान ताप एवं दाब पर गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है।
डाल्टन का परमाणु सिद्धांत
  • प्रत्येक पदार्थ सूक्ष्म परमाणुओं से मिलकर बना होता है।
  • किसी दिए गए तत्व के सभी परमाणु गुणों में समान होते हैं, जैसे उनका द्रव्यमान। विभिन्न तत्वों के परमाणु द्रव्यमान में भिन्न होते हैं।
  • जब विभिन्न तत्वों के परमाणु एक निश्चित अनुपात में संयोग करते हैं तब यौगिकों का निर्माण होता है। 
  • रासायनिक अभिक्रियाओं में परमाणु का पुनर्संगठन होता है। किसी रासायनिक अभिक्रिया मंे इन्हेें न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट।
  • परमाणु द्रव्यमान इकाई को कार्बन-12 परमाणु के द्रव्यमान के बारहवें भाग के ठीक बराबर द्रव्यमान के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • किसी अणु में उपस्थित तत्वों के परमाण्वीय द्रव्यमानों के योग को आण्विक द्रव्यमान कहते हैं तथा किसी आयनिक यौगिक में इसे सूत्र द्रव्यमान कहा जाता है।

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