गढ़वाल मंडल की झीलें तथा उनसे सम्बधित महत्वपूर्ण नोट्स
सहस्त्रताल

जनपद टिहरी में स्थित यह ताल गढ़वाल मण्डल के झीलों में सबसे बड़ी झील है। समुद्रतल से इसकी ऊचाई लगभग 1530 मी. है। इस ताल के दक्षिण-पश्चिम में विशालकाय शिलाखंड है तथा उत्तरी भाग में फूलों की घाटी है। ताल के चारों ओर रंग-बिरंगे पुष्पों के साथ सफेद रंग के ब्रह्मकमल पुष्पों की शोभा दर्शनीय है।
देवरियाताल

यह ताल रुद्रप्रयाग जनपद में ऊखीमठ-सारी से तीन किमी. की चर्ढ़ाइ पर समुद्रतल से 3680 मी. की ऊँचाई पर स्थित है। इसकी लंबाई 1.5 तथा चौड़ाई 0.5 किमी. है। इसके निकट तुंगनाथ का प्रसिद्ध तीर्थ है। चारों ओर बाँज-बुरांस के वृक्षों से घिरे इस ताल के आसपास अगस्त, सितंबर में अनेक प्रकार के पुष्प खिलते हैं।
महासरताल

यह ताल सहस्त्रताल के मार्ग पर बालगंगा घाटी में स्थित है, जो कटोरीनुमा दो तालों से मिलकर बना है। इसके चारों ओर घने तथा मखमली घास के सुंदर मैदान है, जिन्हें स्थानीय भाषा में बुग्याल कहते हैं। समुद्रतल से इसकी ऊँचाई 3675 मी. है।
बासुकीताल

केदारनाथ धाम से लगभग 4 किमी. की दूरी पर मध्यवर्ती पर्वतश्रेणी पर स्थित यह ताल नीलकमलों के लिए प्रसिद्ध है। समुद्रतल से लगभग 4135 मी. की ऊँचाई पर स्थित ताल में हिममंडित पर्वत की चोटियों के प्रतिबिंब ताल की शोभा में वृद्धि कर देते हैं।
लिंगताल
इस ताल की ऊँचाई समुद्रतल से लगभग 1580 मीटर है। इस ताल के मध्य में एक सुंदर भूखंड है, जो सूर्य का प्रकाश पड़ने पर लिंग के रुप में दिखाई पड़ता है।
अप्सराताल
यह ताल बूढ़ाकेदार के पास 1500 मी. की ऊँचाई पर स्थित है। इसे अंछरियों का ताल भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसमें अंछरियां(अप्सरायें) स्नान किया करती थी।
चोराबाड़ी ताल (गांधी सरोवर)

रूद्रप्रयाग जनपद में स्थित यह ताल केदारनाथ धाम से मात्र 1 किमी. दूर सुरम्य पर्वत श्रृंखलाओं की तलहटी में स्थित है। इस ताल में गांधी जी की अस्थियों का विसर्जन किए जाने के कारण इस गांधी सरोवर भी कहा जाता है। समुद्रतल से 3580 मी. की ऊँचाई पर स्थित इस ताल में बर्फ के शिलाखंड तैरते हुए अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करते हैं। 2013 की आपदा से ग्लेशियर टूटने से इस झील को भारी नुकसान पहुंचा और हरिद्वार तक भारी तबाही हुई।
नचिकेताताल

उत्तरकाशी जनपद में धनारी के पचांणगांव एवं कौलगांव में मध्य 29 किमी. की दूरी पर चौरंगीखाल होते हुए 3 किमी. आगे अत्यंत रमणीक नचिकेताताल स्थित है। ताल के चारों ओर हरित वना से ढके हुए पहाड़ियों के साथ एक छोटा-सा मंदिर भी है। संत उदलक के पुत्र नचिकेता द्वारा अवस्थापित इस ताल को उनके नाम भी से जाना जाता है।
डोडीताल

यह झील उत्तरकाशी से लगभग 30 किमी. की दूरी तथा समुद्रतल से 3310 मी. की ऊँचाई पर स्थित है। उत्तरकाशी से गंगोत्री जाने वाले मार्ग पर गंगोरी से 18 किमी. की दूरी पर स्थित इस झील का आकार षष्टाकार है। असौ नदी इस ताल से निकलती है, जो गंगोरी के पास भागीरथी गंगा में मिल जाती है। झील के चारों ओर भोजपत्र, तथा मुरेण्डा के वृक्षों से ढके हुए मनोरम दृश्य है। यहीं पर पहाड़ी के दूसरी ओर जलरहित तालनुमा आकृति है, जिसे काणाताल कहते हैं। यहां से बंदरपुंछ शिखर पर्वत का सुंदर दृश्य दिखाई देते हैं।
रूपकुंड

यह झील बेदनी बुग्याल के निकट चमोली जनपद में 4778 मी. की ऊँचाई पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि इस कुंड के निर्मल जल में पार्वती अपना प्रतिबिंब देखकर मंत्रमुग्ध हो गई थीं और उन्होंने अपना आधा सौंदर्य इस ताल को ही समर्पित कर दिया था। यहां से त्रिशूली और नंदाघुंघटी पर्वत श्रेणियों के मनोरम दृश्य दिखाई देते हैं।
गोहनताल
विरही गंगा में सन् 1895 ई. में दो पहाड़ों के टूटने से एक कृत्रिम झील का निर्माण हो गया था, जिसे गोहनताल कहते थे। इस झील के टूटने से गोहनगांव पूरी तरह नष्ट हो गया था। 20 जुलाई 1970 को झील के स्वयं टूटने से यह ताल भी समाप्त हो गया ।
होमकुंड
रूपकुंड से आगे चमोली जनपद में गढ़वाल की प्रसिद्ध नंदा राजजात के यात्रा मार्ग पर लगभग 5061 मी. की ऊँचाई पर होमकुंड ताल स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यहीं पर प्रसिद्ध आराध्य देवी नंदा का डोला रखा गया था। यह ताल सात पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा है। इससे लक्ष्मणगंगा निकलती है, जो अलकनंदा की सहायक नदी है। इसके किनारे प्राचीन लक्ष्मण मंदिर है।
सतोपंथताल

बद्रीनाथ से 21 किमी. उत्तर-पश्चिम दुर्गम पहाड़ी में समुद्रतल से लगभग 1334 मी. की ऊँचाई पर स्थित है, इस ताल के तीन कोण है। इसी झील के पास सूर्यकुण्ड और चंदकुंड नामक दो ताल स्थित है। अलकनन्दा नदी इस ताल से निकलती है । इस ताल के उत्तरी भाग भगीरथ खड़क हिमानी स्थित है।
बेनीताल
चमोली कर्णप्रयग से नन्द्रप्रयाग की ओर लगभग 30 किमी. और आदि बदरी से 5 किमी. की दूरी पर स्थित इस ताल की ल. 320 मी. और चौड़ाई 150 मी. है। 3 हजार की ऊँचाई पर स्थित यह ताल बांज-बुरांस, चीड़ और काफल आदि वृक्षों के अलावा मनोरम पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इसके निकट नन्दादेवी मन्दिर स्थित है।