उत्तराखण्ड यातायात प्रणाली

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उत्तराखण्ड यातायात प्रणाली – किसी भी क्षेत्र के सर्वतोन्तुखी विकास के लिए यातायात के साधन महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। प्रदेश का पर्वतीय भू-भाग धरातलीय विषमताओं के कारण यातायात के साधनों के विकास में साधक है। सड़को का निर्माण एवं उनका रख-रखाव मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा अत्याधिक खर्चीला एवं श्रम-साध्य है। राज्य निर्माण के पश्चात् विशेष राज्यों की श्रेणी मे रखे जाने के बाद केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा सड़कों के निर्माण की दिशा में विशेष प्रयास किए गए हैं (उत्तराखण्ड यातायात प्रणाली)। राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों की लम्बाई लगभग 1375.76 तथा राज्य मार्गों की लम्बाई लगभग 3788.20 किलोमीटर है। उत्तराखण्ड यातायात प्रणाली के अन्तर्गत वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल संख्या 14 है, विवरण निम्नवत् है-

राष्ट्रीय राजमार्गों का विवरण

राष्ट्रीय मार्ग सं.नाम
58 गाजियाबाद-मेरठ-हरिद्वार-ऋषिकेश-बद्रीनाथ-माणा
72 अंबाला-नाहन-देहरादून-ऋषिकेश
73 रूड़की-सहारनपुर-यमुनानगर-पंचकुला
74हरिद्वार-नजीबाबाद-काशीपुर-किच्छा-बरेली
87रामपुर-रूद्रपुर-हल्द्वानी-नैनीताल
84ऋषिकेश-टिहरी-धरासू-फूलचट्टी-यमुनोत्री
72कछुटमलपुर-देहरादून
108धरासू-उत्तरकाशी-गंगोत्री
109रूद्रपुर-गौरीकुंड
123विकासनगर-कालसी-यमुनापुल-नैनीबाग-डामटा-नौगांव-कालसी-बड़कोट
119मेरठ-मवाना-बिजनौर-कीरतपुर-नजीबाबाद-कोटद्वार-दुगड्डा-गुमखाल- सतपुली-पौड़ी-श्रीनगर
121काशीपुर-रामनगर-धुमाकोट-बैजरो-थलीसैंण-त्रिपालीसैंण-मुसागली-पाबौ- बुवाखाल- पौड़ी
87ज्योलीकोट-भवाली-गरमपानी-अल्मोड़ा-रानीखेत-द्वाराहाट – चौखुटिया-गैंरसैण-आदिबद्री-कर्णप्रयाग
125सितारगंज-खटीमा-बनबसा-टनकपुर-चलथी-चंपावत-लोहाघाट-पिथौरागढ़

इनमें से 9 राष्ट्रीय राजमार्ग 9वीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002) के अंतर्गत घोषित हुए हैं, जिनकी मार्ग संख्या 58, 72, 72क, 73, 74, 87, 84, 108 तथा 109 हैं। सन् 2004 तक यही राष्ट्रीय राजमार्ग थे जबकि शेष 5 राष्ट्रीय राजमार्गों की घोषणा राज्य निर्माण के पश्चात हुई है। राष्ट्रीय राजमार्ग एक निश्चित मानक के अनुसार बनाए जाते हैं, जिनकी चौड़ाई अन्य सड़कों की अपेक्षा अधिक होती है। से सड़कें पूर्णतः केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित होती है। वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्गों का रखरखाव लोक निर्माण विभा द्वारा तथा सीमा सड़क संगठन (बी.आर.ओ) द्वारा किया जा रहा है।

आन्तरिक परिवहन मार्ग

राज्य में लोक निर्माण विभाग के नियंत्रण में 21106.87 किलोमीटर लंबाई के मार्ग हैं, इसके अतिरिक्त स्थानीय निकायों के अन्तर्गत 2330 किमी तथा अन्य विभागों के नियंत्रणाधीन मार्गों की लंबाई 7316.95 किमी है। इस प्रकार राज्य की कुल मार्गों की लम्बाई लगभग 30753.82 किमी है। राज्य सेक्टर तथा जिला सेक्टर के अधीन एक वर्ष की अवधि में 314 किलोमीटर मार्गों का नवनिर्माण, 278 किमी. मार्गों का पुनः निर्माण, 15 मोटर मार्ग सेतुओं तथा 18 पैदल मार्ग सेतुओं का निर्माण किया गया है। 1500 से अधिक आबादी वाले एक गांव, 500 से 999 की आबादी वाले 9 गांव, 250 से 499 की आबादी वाले 10 गांव तथा 250 तक की आबादी वाले 27 गांवों को एक वर्ष की अवधि में सर्वऋतु योग्य मार्गों से जोड़ा गया है।

आन्तरिक परिवहन मार्ग विवरण

लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत

राष्ट्रीय राजमार्ग – 1375.76
प्रादेशिक मार्ग – 3788.20
मुख्य जिला सड़के- 3289.74
अन्य जिला सड़के – 2945.04
ग्रामीण सड़के – 15436.89
हल्का वाहन मार्ग – 858.23

स्थानीय निकायों के अंतर्गत

मोटर मार्ग जिला पंचायत – 862.45
मोटर मार्ग नगर पालिका/नगर पंचायत/नगर निगम तथा अन्य – 2040.23

अन्य विभागों के अंतर्गत

सिंचाई 7 741
गन्ना – 899.61
वन – 3313
बी.आर.टी.एफ – 1281.32
अन्य (मंडी परिषद तथा पीएमजीएसवाई) – 1906.31

सड़क यातायात में मुख्य रूप से बसें, जीप, टैक्सी, कार, ट्रक, आदि सम्मिलित हैं। प्रदेश में राज्य सड़क परिवहन निगम, गढ़वाल मोटर्स ऑनर्स यूनियन लिमिटेड, गढ़वाल मोटर यूजर्स को-ऑपरेटिव ट्रांसपोर्ट सोसाइटी लि., टिहरी गढ़वाल मोटर्स ऑनर्स यूनियन, कुमाऊँ मोटर्स ऑनर्स यूनियन लिमिटेडद्व सीमांत सहकारी संघ, गढ़वाल मंडल विकास निगम तथा कुमाऊँ मंडल विकास निगम तथा कतिपय अन्य संस्थानों द्वारा बसों का संचालन होता है। राजकीय बसों की संख्या और उनसे जुड़े क्षेत्र यहां कम है। जी.एम.ओ.यू.लि (कोटद्वार, गढ़वाल) एशिया की प्रमुख यातायात कंपनियों में गिनी जाती है।

रेल यातायात

जटिल भौगोलिक विषमताओं के कारण यहां रेलपथ का विस्तार बहुत कम (344.91 किमी.) है जिसमें 283.76 किमी. बड़ी लाइन व 61.15 किमी. छोटी लाइन हैं। राज्य में केवल 6 जिलों (हरिद्वार, देहरादून, पौड़ी, उधमसिंहनगर, नैनीताल, व चम्पावत) में रेल-लाइनें बिछाई गई हैं। राज्य में छोटे-बड़े 41 रेलवे स्टेशन हैं।
उपरोक्त 6 जिलों में सर्वाधिक रेल ट्रैक वाल जिला हरिद्वार और सबसे कम रेल ट्रैक वाला जिला पौड़ी गढ़वाल है।

राज्य के प्रमुख रेल-पथ निम्नवत् हैं-
  • उत्तर-प्रदेश के मुज्जफरनगर से हरिद्वार के कलसिया, लक्सर तथा रूड़की होते हुए पुनः उत्तर प्रदेश के सहारनुपर को (बड़ी लाइन-उत्तर रेलवे)
  • लक्सर-हरिद्वार, देहरादून मार्ग (बड़ी लाइन-उत्तर रेलवे)
  • 1 जनवरी 1896 को लक्सर जंक्शन को हरिद्वार से तथा सन् 1900 में हरिद्वार से देहरादून को जोड़ा गया। हरिद्वार-देहरादून रेलमार्ग, राजाजी नेशनल पार्क के मध्य से होकर गुजरता है।
  • हरिद्वार-ऋषिकेश मार्ग (बड़ी लाइन-उत्तर रेलवे)
  • उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद (जनपद बिजनौर) से कोटद्वार जनपद पौड़ी गढ़वाल तक (बड़ी लाइन-उत्तर रेलवे)। इस रेलवे लाइन को 1897 में बिछाया गया था।
  • उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद से काशीपुर (जनपद उधमसिंहनगर) रामनगर (जनपद नैनीताल) तक (बड़ी लाइन-उत्तर पूर्व रेलवे)
  • उत्तर प्रदेश के रामपुर से किच्छा से लालकुँआ (जनपद उधमसिंहनगर) से काठगोदाम (जनपद नैनीताल) तक (बड़ी लाइन-उत्तर पूर्व रेलवे)
  • उत्तर प्रदेश के बरेली से लालकुंआ काशीपुर तक (छोटी लाइन उत्तर पूर्व रेलवे)
  • उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से खटीमा, टनकपुर तक (छोटी लाइन उत्तर पूर्व रेलवे)
  • टनकपुर से बागेश्वर तक निर्माण हेतु प्रस्तावित रेल पथ को मार्च, 2012 में राष्ट्रीय परियोजना में शामिल किया गया है।
  • निर्माणाधीन मुज्जफरनगर-रूड़की रेल पथ हेतु कार्य योजना प्रस्तावित है।
  • ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेल पथ का निर्माण कार्य गतिमान है।
  • केंद्र सरकार ने कुछ प्रमुख मार्गों तथा राजधानी देहरादून के लिए कुछ नई रेलागाड़िया आरम्भ की हैं। इनमें ’शताब्दी एक्सप्रेस’ ओखा-देहरादून एक्सप्रेस, जनशताब्दी एक्सप्रेस, गढ़वाल एक्सप्रेस, लालकुंआ-आगरा एक्सप्रेस, काठगोदाम-रानीखेत एक्सप्रेस, बाघ एक्सप्रेस, काठगोदाम-देहरादून एक्सप्रेस, काठगोदाम-गोरखपुर एक्सप्रेस, उत्तरांचल सम्पर्क क्रान्ति एक्सप्रेस, कार्बेट पार्क लिंक एक्सप्रेस, चेन्नई-देहरादून एक्सप्रेस, पुरी-हरिद्वार कलिंग उत्कल एक्सप्रेस, तथा इन्दौर-देहराूदन एक्सप्रेस मुख्य हैं। उत्तराखण्ड में 41 रेलवे स्टेशन/हाल्ट हैं।

हवाई यातायात

राज्य में वायु यातायात अत्यंत सीमित हैं। जौलीग्रांट (देहरादून), नैनीसैनी (पिथौरागढ़), चिन्यालीसौड़ (उत्तरकाशी), गौचर (चमोली) तथा पन्तनगर (ऊधमसिंहनगर) में हवाई अड्डे हैं। जौलीग्रांट से एबी-320/बोइंग 737-800 विमानों की नियमित विमान सेवा, पन्तनगर को कारगो एक्सपोर्ट के रुप में विकसित करना, गौचर से हेलीकॉप्टर सर्विस हेतु हैंगर निर्माण, नैनी-सैनी एयरपोर्ट का एटीआर-72 टाइप विमानों के परिचालन हेतु विस्तार, प्रत्येक जनपद में हैलीपैड निर्माण, 10 स्थानों पर आर्मी हैलीपैड व्यवस्था, हरिद्वार से एवियेशन अकादमी, अगस्त्यमुनि, गुप्तकाशी तथा फाटा से नियमित हेलीकॉप्टर सेवा आदि की व्यवस्था से नागरिक उड्डयन सेवा का विस्तार किया गया है।

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