उत्तराखण्ड की खनिज संसाधन से से उत्तराखण्ड की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते हैं तथा उनक सभी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस पोस्ट ‘उत्तराखण्ड की खनिज संसाधन’ के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी हिन्दी में दी गयी है।
उत्तराखण्ड की खनिज संसाधन व उनका वितरण
किसी देश, राज्य अथवा क्षेत्र के विकास पर सर्वाधिक प्रभाव वहां के खनिज संसाधनों का पड़ता है। यदि किसी देश में खनिज पदार्थ पर्याप्त रूप से उपलब्ध है, तो उसे औद्योगीकरण करने तथा निर्यात वृद्धि में कोई कठिनाई होगी। खनिज-संपत्ति देश के ही नहीं, अपितु क्षेत्रीय विकास में भी महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
राज्य में खनन कार्यों के संचालन हेतु ’’भूतत्व एवं खनिकर्म इकाई’’ भी कार्यरत है। राज्य में खनिज संसाधनों का वितरण निम्नवत् है-
लोहा
खनिज लोहे के कुछ बिखरे हुए निक्षेप कुमाऊँ मंडल में पाए जाते हैं। नैनीताल में कालाढुंगी और रामगढ़ क्षेत्रों से प्राप्त लोहा, मात्रा एवं प्रकार की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। चमोली के मोहनखाल क्षेत्र में क्लोराइट के चट्टानों का पता लगा है। नैनीताल, गढ़वाल व टिहरी गढ़वाल जिलों में भी लोहे के निक्षेप पाए गए हैं।
ताँबा
गढ़वाल में दानपुर व पोखरी, देहरादून तथा अल्मोड़ा में बहुत प्राचीनकाल से तांबे का कार्य होता रहा है कुमाऊँ तांबे का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है। टिहरी गढ़वाल की भगरीरथी घाटी और गढ़वाल जिले म धनपुर डोबरी की 96 किमी लंबी पट्टी तांबा उत्पादक क्षेत्र है जहां तांबा तथा जस्ता भू-गर्भित है। पोखरी, धमैथी और मोहनखाल क्षेत्रों में भी खोज की गई है। अल्मोड़ा के झिरौली गांव के निकट फलमती पहाड़ी श्रेणी तथा बागेश्वर के समीप थेलीपाटन में तांपबे के भंडार का पता चला है, किंतु अभी पर्याप्त सर्वेक्षण न होने के कारण सही अनुमान लगाना कठिन है।
गंधक
सर्वप्रथम सन् 1957 में नंद्रपयाग से 50 किमी पूर्व स्थित रुपगंगा घाटी में सुतौल ग्राम के पास स्फटिक शिलाओं में गंधक होने के प्रमाण मिले। देहरादून में सहस्त्रधारा के निकट तथा चमोली में बद्रीनाथ तप्तकुण्ड, तपोवन तप्तकुण्ड एवं यमुनोत्री में गंधके के स्त्रोत हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है कि सहस्त्रधारा के जल में स्नान करने स त्वचा के कई रोग ठीक हो जाते हैं।
चूने के पत्थर
इसका प्रयोग विशेष रुप से उद्योगों में किया जाता है। गत वर्षों मे चून की मांग में वृद्धि हुई है, इसलिए प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में चूने के क्षेत्रों का विस्तृत पता लगाया गया है-
प्रदेश में चूने के पत्थर की उपलब्धता- देहरादून, टिहरी गढ़वाल और चमोली जनपदों में है।
देहरादून जिले के उत्पाद क्षेत्र निम्नवत् हैं-
मंदारम क्षेत्र
देहरादून जिलें में कालसी से 10 किमी दूर स्थित मंदारम क्षेत्र में लाखों टन चना सफलतापूर्वक उपलब्ध किया जा सकता है। यहां पर चून की खुदाई के लिए अनुकूल परिस्थितियां पाई जाती हैं। यह चूना, सीमेंट उत्पादन के लिए बहुत उत्तम है।
डोईवाला क्षेत्र
देहरादून का दूसरा उत्तम कोटि का उत्पादक क्षेत्र डोईवाला से 25 किमी उत्तर-पूर्व में है, जहां 12 से 50 मीटर ऊंचाई वाली डोलोमाइट चट्टानों से चूना प्राप्त होता है।
ऋषिकेश क्षेत्र
ऋषिकेश के समीप नीलकंठ, पंठरानू, बेली और भाडसी गांवों में रेतीले चूने की पेटियों का पता लगा है। भूगर्भशास्त्रियों द्वारा विवेचन करने पर चूने में 33-35 प्रतिशत सिलिका तत्व पाया जाता है। इस क्षे. में 300 लाख टन चूना आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
टिहरी गढवाल
टिहरी गढवाल के लोरानी, आगराखाल, नागिनी और नरेन्द्रनगर क्षेत्र में भी चून के निक्षेप है। उत्तम कोटि का चूना तथा डोलोमाइट पीपलकोटी और रुद्रप्रयाग में तथा क्रीम रंग का भारी व कठोर चूना मसूरी के निकट पाया जाता है।.
खड़िया
इसका प्रयोग उपयोग खाद, पोर्टलैंड सीमेंट तथा प्लास्टर आफ पेरिस में होता है। देहरादून जिलें में मसूरी के पास महागांव तथा क्यारकूली में खड़िया के निक्षेपों का पता चला है, जिसमें चूने व शैल का मिश्रण है टिहरी गढ़वाल में सौंग नदी के दाहिने किनारे पर स्थित रंगार गांव में खड़िया की बड़ी पेटियां चूने तथा सल्फेट के साथ प्राप्त हुई है। ऋषिकेश में भी खड़िया की पेटियां मिली हैं।
सेलखरी
इसका प्रयोग रासायनिक खाद, सीमेंट, कागज आदि में होता है। देहरादून तथा गढ़वाल जिलों में सेलखरी प्राप्त होती है। किंतु अधिकांश उत्पादन गढ़वाल में होता है।
उत्तराखण्ड में खनिज व उनके प्राप्ति स्थान
खनिज | प्राप्ति स्थान (जनपद) |
लाइम स्टोन | देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पिथौरागढ़ |
डोलोमाइट | देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पिथौरागढ़ |
मैग्नेसाइट | बागेश्वर, चमोली, पिथौरागढ़ |
सोपस्टोन | अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, पिथौरागढ़ |
फास्फोराइट | देहरादून, टिहरी गढ़वाल |
बेस मेटल्स | अल्मोड़ा, चमोली, देहरादून, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल, पिथौरागढ़ |
सिलिका सैन्ड | उत्तरकाशी, देहरादून |
बेराइट्स | देहरादून |
ग्रेफाइट | अल्मोड़ा, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल |
स्लेट्स | उत्तरकाशी, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल |
मारबल्स | देहरादून |
रॉक फास्फेट | देहरादून, टिहरी गढ़वाल, नैनीताल |
गंधक व माक्षिक | चमोली व देहरादून में |
एस्बेस्टास | पौड़ी गढ़वाल व अल्मोड़ा |
जिप्सम | देहरादून, नैनीताल, पौड़ी व टिहरी में |
लोहा | नैनीताल, चमोली, पौड़ी व टिहरी में |
तांबा | चमोली, अल्मोड़ा, टिहरी, देहरादून, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ व नैनीताल मे सीसा पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, देहरादून |
टिन | चमोली |
सोना | शारदा, रामगंगा, अलकनन्दा व पिण्डर नदियों के रेत में |
चांदी | अल्मोड़ा में |
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