कुमाऊँ मण्डल की झीलें
मध्य हिमालय के क्षेत्र में भूगर्भीय परिवर्तनों के परिणामस्वरूप भूगर्भ की शक्तियों में भी पविर्तन हुए हैं, जिनके कारण हिमनदों के पास तथा कई अन्य स्थानों पर जलाशय (ताल) अथवा झीलों का निमार्ण हुआ है। Home
कुमाऊँ मंडल की प्रमुख झीलें
नैनीताल

- यह झील समुद्रतल से लगभग 1938 मीटर की ऊंचाई पर राज्य की सर्वाधिक प्रसिद्ध झील है।
- नैनीताल नगर के मध्य में एक कटोरे की भांति स्थित इस ताल को स्कन्दपुराण के मानसखण्ड में ’त्रि-ऋषि सरोवर’ कहा गया है।
- झील का उत्तरी भाग मल्लीताल तथा दक्षिणी भाग तल्लीताल कहलाता है।
- झीलों की अधिकता के कारण नैनीताल झीलों की नगरी व सरोवर नगरी कहते हैं।
भीमताल

- कुमाऊँ मण्डल की सबसे बड़ी यह झील नैनीताल से 22 किमी. तथा अल्मोड़ा से 64 किलोमीटर की दूरी पर रामगढ़ मार्ग पर स्थित है।
- समुद्रतल से इस झील की ऊँचाई 1356 मीटर है। इसकी लम्बाई 1674 मी., चौड़ाई 447 मी. तथा गहराई 26 मी. है।
- विशालकाय झील होने के कारण इसका नाम भीमताल पड़ा है।
नौकुचियाताल

- नैनीताल से 26 किमी. तथा भीमताल से 5 किमी. की दूरी पर नैनीताल जनपद का सबसे गहरा यह ताल अपने नाम के अनुरुप नौ कोनों वाला है।
- इस झील की समुद्रतल से ऊँचाई 1292 मी. है। इस झील की लम्बाई 950 मी., चौड़ाई 680 मी. और गहराई 40 मी. है।
- पक्षियों के निवास के लिए यह झील उत्तम है । विदेशी पक्षी भी यहां देखे जा सकते हैं।
सातताल

- नैनीताल से 23 किलोमीटर तथा भीमताल से 4 किमी. की दूरी पर स्थित सातताल कुमाऊँ की सबसे रमणीक झील है।
- मूल रुप से यह तीन तालों वाला एक समूह है जिन्हें राम, सीता, लक्ष्मण ताल कहते हैं।
- यहां पर सात झीलें थी जिनमें से वर्तमान में कई सूख गई हैं। इनमें नल दमयंती ताल, गरूड़ या पन्ना ताल, पूर्ण ताल, लक्ष्मण ताल व राम-सीता प्रमुख है।
खुर्पाताल

- यह ताल नैनीताल से लगभग 12 किमी. की दूरी पर है, जिसकी आकृति अपने नाम के अनुरुप खुर की तरह ह। इसमें अनके प्रकार की मछलियां पाई जाती हैं।
- ताल के चारों ओर सीढ़ीनुमा खेतों का सुरम्य दृश्य दिखाई देता है।
सूखाताल

- प्रारंभिक चरण में मल्लीताल क्षेत्र की यह झील नैनी झील का ही एक भाग थी।
- कालान्तर में भूस्खलनों के कारण अलग हो गई और मानवीय क्रियाकलापों के कारण अपने नाम के अनुरुप रौखड़ में बदलकर अवशेष मात्र रह गई।
गिरिताल

यह ताल काशीपुर रामनगर मोटरमार्ग पर स्थित है। इसके आसपास कई देवी-देवीताओं के मंदिर है, जिनमें शिव, चामुंडा तथा संतोषी माता के मंदिर उल्लेखनीय है।
द्रोणसागर

यह ताल काशीपुर नगर से 2 किमी. की दूरी पर है। ऐसा कहा जाता है कि गुरु द्रोणाचार्य ने कौरवों तथा पाँडवों को धनुर्विद्या की शिक्षा यहीं पर दी थी। इस ताल के किनारे पर गुरु द्रोणाचार्य की भव्य प्रतिमा स्थापित है।
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