उत्तराखण्ड का परिचय: उत्तराखण्ड की राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे के लिए उत्तराखण्ड सामान्य ज्ञान की सारीज शुरु की गई है जिससे की प्रतियोगी परीक्षाओं में अधिक से अधिक अभ्यर्थी सफलता हासिल कर सके। यह सभी जानकारी आपको हिन्दी में उपलब्ध करवाई जाएगी। आओ शुरू करते हैं पढ़ना- उत्तराखण्ड का परिचय
उत्तर प्रदेश के 13 हिमालयी राज्यों को काटकर 09 नवम्बर 2000 को भारतीय गणतंत्र के 27 वें और हिमालयी राज्यों के क्रम में ’उत्तरांचल’ राज्य का गठन किया गया, जिसे 01 जनवरी 2007 में बदलकर ’उत्तराखण्ड’ कर दिया गया। उत्तराखंड में चार धाम (केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) का विशेष महत्त्व है।
स्थिति एवं विस्तार
- उत्तराखण्ड 28°43′ से 31°27′ अक्षांश व 77°34′ से 81°02′ पूर्वी देशान्तर के मध्य लगभग 53,483 वर्ग कि.मी क्षेत्र में विस्तृत है। इसके अंतर्गत गढ़वाल व कुमाऊँ मण्डल सम्मिलित है। गढ़वाल मण्डल में सात जिले हैं- हरिद्वार, देहरादून, टिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, और चमोली।
- कुमाऊँ मण्डल में छः जिले हैं- नैनीताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत, ऊधमसिंहनगर, पिथौरागढ़। राज्य की पूर्वी अन्तर्राष्ट्रीय सीमा नेपाल से उत्तर दक्षिण प्रवाहित काली नदी द्वारा तथा पश्चिमी सीमा हिमाचल प्रदेश से टौंस नदी द्वारा निर्धारित हाती है। उत्तरी सीमा दक्षिण पूर्व में हुमला (नेपाल) तथा उत्तर-पश्चिम में हिमाचल प्रदेश तथा तिब्बत की सीमा पर शिपकी दर्रे के समीप धौलधार तथा जैक्सर श्रेणी के मिलन स्थल तक लगभग 400 कि.मी की लम्बाई में फैली उस विशाल श्रृंखला से बनती है, जो तिब्बत क्षेत्र से प्रवाहित सतलज का दक्षिणी पनढाल बनाती है। दक्षिणी सीमा पर तराई व भाबर की एक चैड़ी पट्टी इसको रूहेलखण्ड के मैदान (उत्तर प्रदेश) से पृथक् करती है।
उत्तराखण्ड के प्रतीक चिन्ह (राज्य चिन्ह)
राज्य चिन्ह
शासकीय कार्यों के लिए स्वीकृत राज्य चिन्ह में उत्तराखण्ड के भौगोलिक स्वरूप की झलक मिलती है। इस चिन्ह में एक गोलाकार मुद्रा में तीन पर्वत चोटियों की श्रृंखला और उसके नीचे गंगा की 04 लहरों का दर्शाया गया है। बीच में स्थित चोटी अन्य दोनो चोटियों से ऊँचा है और उसके मध्य में अशोक का लाट अंकित है। अशोक के लाट के नीचे मुण्डकोपनिषद से लिया गया वाक्य ’सत्यमेव जयते’ लिखा है।
पुष्प
- नाम – ब्रह्मकमल
- कुल – ऐसटेरसी
- वैज्ञानिक नाम – सोसूरिया अबवेलेटा
- उपलब्धता – मध्य हिमालयी क्षेत्र मे 4800 से 6000 मीटर की ऊँचाई पर
- कुल प्रजातियाँ – उत्तराखंड में कुल २४ तथा पूरे विश्व में 210
- उत्तराखंड के फूलो की घाटी केदारनाथ , शिवलिंग बेस पिंडारी ग्लेसियर आदि क्षेत्रों में यह पुष्प बहुतायत पाया जाता है ।
- ब्रह्मकमल जुलाई से सितम्बर तक मात्र तीन महीने तक खिलते है
पक्षी
- नाम – मोनाल
- वैज्ञानिक नाम – लोफोफोरस इनपीजेनस
- उपलब्धता – यह पक्षी लगभग सम्पूर्ण हिमालयी क्षेत्र में २५०० से ५००० मीटर के ऊंचाई वाले घने जंगलो में पायी जाती है।
पशु
- नाम – कस्तूरी मृग
- वैज्ञानिक नाम – मास्कस काइसोगास्टर (इसे हिमालयन मास्क डियर के नाम से भी जाना जाता है )
- उपलब्धता – वनाच्छादित शिखरों पर ३६०० लस ४४०० मीटर की ऊंचाई पर पाए जाते है।
- कस्तूरी केवल नर मृग में पाया जाता है। एक मृग से एक बार में सामान्यतया ३० से ४५ ग्राम तक कस्तूरी प्राप्त की जाती है ।
- कस्तूरी एक प्राकृतिक रसायन है , जिसका उपयोग सुंगधित सामग्रियों के अलावा दमा , निमोनिआ , ह्रदय रोग आदि रोगों के औषधियों के निर्माण के लिए किया जाता है ।
- कस्तूरी मृग के सरंक्षण के लिए १९७७ में महरूढ़ि मृग अनुसन्धान केंद्र की स्थापना की गई है ।
- १९८६ में पिथौरागढ़ में अस्कोट अभ्यारण्य की स्थापना की गई है ।
- १९८२ में चमोली जिले में कांचुला खरक में एक कस्तूरी मृग प्रजनन एवं सरक्षण केंद्र की स्थापन की गई है ।
राज्य वृक्ष
- नाम – बुरांश
- वैज्ञानिक नाम – रोडोडेंड्रॉन अरबोरियम
- उपलब्धता – १५०० से ४००० मीटर की ऊंचाई पर
- बुरांश का फूल जनवरी के बाद धीरे धीरे खिलना शुरू होता है और बैशाखी तक पूरा खिल जाता है
- बुरांश के अवैध कटान के कारण वन अधिनियम १९७४ में इसे सरंक्षित वृक्ष घोषित किया गया है
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